फागण मास सुहाणो आयो खाटूवाळै कै मन भायो भगतां खाटू मांही आयो थानै न्यूतो छै (Fagun Maas Suhano Aayo Khatu Wale Ke Man Bhayo Bhagta Khatu Mahi Aayo Thane Nuto Che)

Fagun Maas Suhano Aayo Khatu Wale Ke Man Bhayo Bhagta Khatu Mahi Aayo Thane Nuto Che
फागण मास सुहाणो आयो खाटूवाळै कै मन भायो भगतां खाटू मांही आयो थानै न्यूतो छै

 

तर्ज – धरती धोरां री

 

फागण मास सुहाणो आयो,
खाटूवाळै कै मन भायो,
भगतां खाटू मांही आयो,
थानै न्यूतो छै, थानै न्यूतो छै ।।

 

देखो खूब सजै सिणगार, 
लागै बाबै को दरबार,
होवै अन्तर की बौछार, थानै न्यूतो छै ।
बाबो सिंघासन पर साजै, 
ढोलक-झांझ-मजीरा बाजै,
सेवक मगन होय कर नाचै, थानै न्यूतो छै ।।

 

दुखिया दर्द सुणावै आके, 
रोगी तन की भिक्षा मांगै,
निर्धन धन की कामना राखै, म्हारै बाबा सैं ।
थे भी थारा कष्ट मिटाल्यो, 
ऐं सैं मन चाया वार पाल्यो,
इक बर बाबा सैं बतळाल्यो, थानै न्यूतो छै ।।

 

बाबो ऐसो है दातारी, 
यांकी लीला अदभुत न्यारी,
यांको ध्यान धरै संसारी, थानै न्यूतो छै ।
मनवा दो पल श्याम सुमिरले, 
अपणी बुद्धि निर्मल करले,
बैतरणी सैं पार उतरले, थानै न्यूतो छै ।।

 

राजस्थानी गीत ‘धरती धोरां री’ की तर्ज़ पर आधारित अति प्राचीन रचना ।  लेखक – अज्ञात ।

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