Jo Hara So Pukara Re Kanhaiya Khatuwale
जो हारा सो पुकारा रे कन्हैया खाटूवाले
जो हारा सो पुकारा रे …
जो हारा सो पुकारा रे रे रे
पुकारा रे कन्हैया खाटूवाले
हार गई थी जब द्रोपदी , तो आपको टेर सुनाई थी
बीच सभा मे चीर बढ़ा के , बहन की लाज बचाई थी
तू रखवाला खेल निराला तुम्हारा रे कन्हिया , खाटुवाले।।
जो हारा सो पुकारा रे….
कितने युगों से अपने भगत के बिगड़े काम बनाते हो
साग विदुर के और सबरी के जुठे बेर खाते हो
क्या ना किया है हर पल दिया है , सहारा रे कन्हिया , खाटूवाले
जो हारा सो पुकारा रे….
मेरे बस में कुछ भी नही है आप ही कुछ तजबीर करो
जान रहे हो सारी व्यथा तो अब “गंभीर” के तीर हरो
दिल मे बसाके आस लगाके निहारा रे कन्हिया , खाटूवाले
जो हारा सो पुकारा रे….