मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया किश्ती मेरी लगादो उस पार ओ कन्हैया (Main Hu Sharan Me Teri Sansar Ke Rachaiya Kasti Meri Lagado Us Par O Kanhiya)

Main Hu Sharan Me Teri Sansar Ke Rachaiya Kasti Meri Lagado Us Par O Kanhiya
मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया किश्ती मेरी लगादो उस पार ओ कन्हैया

 

तर्ज – मैं ढूँढता हूँ जिनको

 

मैं हूँ शरण में तेरी, संसार के रचैया,
किश्ती मेरी लगादो, उस पार ओ कन्हैया ।।

 

मेरी अरदास सुन लीजै, प्रभु सुध आन कर लीजै,
दरश एक बार तो दीजै, मैं समझूँगा श्याम रीझै,
पतवार थाम लो तुम, मझधार में है नैया ।।
मैं हूँ शरण में तेरी, संसार के ….

 

भगत बेचैन है तुम बिन, तरसते नैन हैं तुम बिन,
अँधेरी रैन है तुम बिन, कहीं ना चैन है तुम बिन,
है उदास देखो तुम बिन, गोपी-ग्वाल-गैया ।।
मैं हूँ शरण में तेरी, संसार के ….

 

दयानिधि नाम है तेरा, कहाते हो अन्तर्यामी,
समाये हो चराचर में, सकल संसार के स्वामी,
नमामि-नमामि हरदम, बृजधाम के बसैया ।।
मैं हूँ शरण में तेरी, संसार के ….

 

तेरी यादों का मनमोहन, ये दिल में उमड़ा है सावन,
बुझेगी प्यास इस दिल की, सुनुँगा जब तेरा आवन,
पांवां पतित को करना, जगदीश ओ कन्हैया ।।
मैं हूँ शरण में तेरी, संसार के ….

 

‘मैं ढूँढता हूँ जिनको, ख़्वाबों में ख्यालों में’ गीत की तर्ज़ पर रचित अतिप्राचीन भावपूर्ण रचना । लेखक – अज्ञात ।

 

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