मै नही कहता इस दुनिया के रिश्तों को तूं छोड़ दे अगर हो सके तो चिंतन कर चिंता मुझ पर छोड़दे (Main Nhi Kahta Is Duniya Ke Rishto Ko Tu Chod De Agar Ho Sake To Chintan Kar Le Chinta Mujh Par Chod De)

Main Nhi Kahta Is Duniya Ke Rishto Ko Tu Chod De Agar Ho Sake To Chintan Kar Le Chinta Mujh Par Chod De
मै नही कहता इस दुनिया के रिश्तों को तूं छोड़ दे अगर हो सके तो चिंतन कर चिंता मुझ पर छोड़दे

 

तर्ज – कस्में वादे प्यार वफ़ा सब

 

मै नही कहता इस दुनिया के, रिश्तों को तूं छोड़ दे,
अगर हो सके तो चिंतन कर, चिंता मुझ पर छोड़दे

 

मुझमे-तुझमे ये अंतर है, जान तूं कब पायेगा,
बोझ उठाना मेरा काम है, तूं इसमें दब जायेगा,
अपने जीवन की इस धारा को मेरी तरफ तूं मोड़दे
मैं नही कहता इस दुनिया के…..

 

तूने माँगा मैंने दिया है, देकर के मैं भूल गया,
तेरी फितरत तूं ही जाने लेकर के तूं मुझे भूल गया
तूं छोड़े ये तेरा मन है आरोप ना मुझ पे छोड़ दे
मैं नही कहता इस दुनिया के…..

 

भ्रम में कब तक जियेगा पगले,
कब तक तूं भरमायेगा,
मैं तुझमे तूं मुझमे रहता, कब ये जान तूं पायेगा,
मैने दिया पर कभी ना मांगा ला दस-बीस करोड़ दे
मैं नही कहता इस दुनिया के…..

 

श्री लक्ष्मीकांत मिश्रा (पप्पू) ‘बेधड़क’ द्वारा ‘कस्में-वादे प्यार-वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।

 

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