Shree Ram Narayan Ji Chaval Vale Delhi
बाबा श्याम के अनन्य भक्त
श्री रामनारायण जी चावल वाले दिल्ली
आपने ऐसा पुरुषार्थ किया जग ने बाबा श्याम को पाना
परामर्श किया हर दिल से खाटू उत्थान का व्रत ठाना
कोटि कोटि प्रणाम तुम्हे हे श्याम सुन्दर के प्रचारक
भक्ति सागर में इन महापुरुषों द्वारा इस धरा पर इनके द्वारा दिये योगदान को युगों युगों तक भुलाया नही जा सकता। ऐसे बिरले भक्त जिनकी हर सांस जिनका हर क्षण निस्वार्थ सेवा एव प्रभु भक्ति में गुजरा। श्याम बाबा ने हमें रास्ता दिखाने हेतु भक्त शिरोमणि श्री आलुसिंह जी महाराज , श्री श्याम बहादुर जी , श्री कशीराम जी , बाबा मनोहर दास जी , श्री धनश्याम दास जी , श्री मातृदत जी एवं सावित्री बाई जैसे अनमोल अनेको भक्तों को चुना।
श्री श्याम प्रभु की नित्य निस्वार्थ भक्ति से प्राप्त वो शक्ति जिनसे अंसख्य श्याम भक्तो की पीड़ा समाप्त करने के ये माध्यम बने। जो भी इनके पास आता ये बाबा से उसकी अर्जी लगाते और उनकी पीड़ा तकलीफ समाप्त होती। ऐसे ही श्याम बाबा के अनन्य भक्त भक्तराज श्री छोटेलाल जी चावल वाले के सुपुत्र आदरणीय श्री रामनारायण जी चावल वाले का जन्म दिल्ली में 19 फरवरी 1932 को हुआ। जन्म से ही धार्मिक माहौल में पले बढ़े अपने पिता के गुणों से इनको भी श्याम भक्ति की लगन लगी ।
घर मे बाबा की सेवा पूजा एव कीर्तनों में इनका लगाव रहता। हायर सेकंडरी की पढ़ाई कर ये लाल कुँआ में लकड़ी का व्यवसाय किया । यहा से हरियाणा के घरौंडा में लकड़ी एव सीमेंट का व्यवसाय किया । इनकी शादी दिल्ली में ही मालीवाड़ा श्रीमती बिमला देवी से हुई । इनके कोई संतान नही हुई बड़े भाई के पुत्र श्री संजय जी को गोद लिया। अपने पिता अनन्य भक्त श्री छोटेलाल जी की बाबा श्याम के प्रति अनन्य भक्ति समर्पित भाव उनके नस नस में समाहित था। अपने पिता की भांति बाबा श्याम के प्रति अटूट लगाव एव श्रद्धा से खुश होकर स्वयं प्रभु ने श्रद्धेय श्री राम नारायण जी को यह वरदान दिया था जिससे उन्हें भक्त की पीड़ा का एहसास हो जाता और उसका निवारण वे स्वयं बाबा श्याम से करवाते ।
आज भी फागुण सुदी एकादशी को रथयात्रा निकाली जाती है| फागुन में रथयात्रा खाटू धाम में श्रद्धेय श्री छोटेलाल जी द्वारा फागुन में शुरू की गई रथ यात्रा मैं श्री राम नारायण जी पिताजी के साथ ही खाटू धाम जाते और रथ यात्रा की व्यवस्था संभालते पिताजी के जाने के बाद स्वयं हर फागुन श्रद्धेय श्री राम नारायण जी द्वारा यह यात्रा निकाली जाने लगी अब यह यात्रा उनके पुत्र श्री संजय जी संभालते हैं बाबा में उनकी आस्था और समर्पण का कोई जोड़ नहीं था अपनी भक्ति और देवी आस्था और सच्चे प्रेम की सीमा का लगातार विस्तार करते गए जब तक कि वे उस मोड़ तक नही पहुँच गए जहाँ स्वयं व बाबा के बीच का फर्क मिट गया । इन सब के वावजूद उन्होंने अपनी घरेलू जिम्मेदारी पर असर नही पड़ने दिया प्रेम एव करुणा से उनका दिल हमेशा भरा हुआ था। भक्तो की परेशानियां असाध्य बीमारी जैसे अपने सवालों के जबाब श्याम बाबा से मिले। खाटूधाम में अपने पिता द्वारा स्थापित गढ़वाली धर्मशाला का विस्तार अपने अथक प्रयास एव श्याम भक्तो के सहयोग से करवा भवन की भूमि को खरीद कर किया।
लगभग 50वर्ष पूर्व जब बाबा का कीर्तन घर मे और सार्वजनिक रूप से नही किया जाता था ऐसा प्रचार था कि कीर्तन होने से बुरा परिणाम हो सकता है तब स्वयं छोटेलाल जी चावल वाले ने बाबा का कीर्तन शुरू किया एव अपने पूरे परिवार को आगे की पंक्ति में एक तरफ बिठाया जिसमे श्री रामनारायण जी भी मौजूद थे । कोई अहित हो तो मेरे और मेरे परिवार का हो लेकिन बाबा का कीर्तन सफलतम हुआ । आज घर घर मे बाबा के कीर्तन एव बड़े बड़े आयोजन हम अपनी आँखों से देख रहे है श्री श्यामसकीर्तन अनवरत श्री रामनारायण हर शुक्ला एकादशी को चालू रखा।इनके द्वारा पंचायती मन्दिर कूचा पाती राम दिल्ली में जीर्णोद्धार करवाया एव बाबा श्याम की मूर्ति स्थापना करवाई । यहा भी ये अनवरत कीर्तन करते।
इन्होंने होली (घुलण्डी) के दिन खाटूधाम में भंडारा शुरू किया जो हर साल घुलण्डी के दिन गढ़वाली धर्मशाला में भण्डारा करवाते थे । हरिद्वार के रुड़की में आप द्वारा शुरू किया कीर्तन आज भी जारी है। तिजारा जिला अलवर श्री श्याम मन्दिर में इनके द्वारा मूर्ति स्थापना करवाई गई। भारत वर्ष के कोने कोने में इनके द्वारा सकीर्तन करवाये गए। घर मे लगे बाबा के दरबार मे बैठ कर भक्तो के कष्टों का निवारण करते थे। उपाय में हमेशा भगवत गीता का पाठ बताते थे। और वे कहते स्वयं करे किसी पण्डित को सकल्प दे कर ना करवाये।
एक भक्त श्री रामनारायण जी के पास आया जिसकी आंखो की रोशनी जा चुकी थी डॉ ने भी उतर दे दिया था इन्होंने बाबा से अर्जी लगाई और उसकी रोशनी लौट आई। जो मनोती के लिए बोला था वो परिस्थिति वश पुरा नही कर पाया श्री रामनारायण जी उसे कहा पूरा नही कर पांओ तो आधा करो । उसी रात स्वयं बाबा ने श्री रामनारायण जी से कहा तुम उस गरीब को क्यों जोर देते हो पैसे वालो को तो नही बोलते । इस घटना के बाद श्री रामनारायण जी उस भक्त के घर जा कर बाबा का संदेश सुनाते हुए उसे उसकी मन्नत से मुक्त बताया|
जिये जब तक श्याम नाम जपते रहे एव अंसख्य श्याम भक्तो को श्याम भक्ति के मार्ग की प्रेरणा दी। और अंत में श्याम श्याम जपते अपनी दोनों बहनों द्वारा निरन्तर किये जा रहे श्री गीताजी पाठ को सुनते हुए 19 अप्रैल 2008 को बाबा श्याम के श्री चरणों मे समा गए।
श्री संजय जी गुप्ता (पुत्र) दिल्ली
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम यही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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