Tu Lile Chad Kar Aaja Teri Baat Udika Ghadi Ghadi
तू लीलै चढ़कर आज्या तेरी बाट उडीकां घड़ी घड़ी
तर्ज – मेरी छतरी के नीचे आजा
तूं लीलै चढ़कर आज्या,
तेरी बाट उडीकां घड़ी-घड़ी ।।
भगतां दरबार सजायो है,
थानै न्यूतो श्याम भिजायो है,
अन्तर केसर की खुशबू,
फूलां की लटकै लड़ी-लड़ी ।।
तूं लीलै चढ़कर आज्या….
थारै केसर तिलक लगावांगां,
चांदी को छत्तर चढ़ावांगां,
केसरिया बागो ल्याया,
थारी लाम्बी-लाम्बी मोरछड़ी ।।
तूं लीलै चढ़कर आज्या….
थारो छप्पन भोग बणायो है,
सब भगतां नै बुलवायो है,
थानै खुश करणै की खातिर,
थारा भगतां नाचै घड़ी-घड़ी ।।
तूं लीलै चढ़कर आज्या….
म्हारी अरजी सुणकर आ जाओ,
भगतां रो मान बढ़ा जाओ,
‘बनवारी’ दर्शन खातिर,
अंसुवन की लागी झड़ी-झड़ी ।।
तूं लीलै चढ़कर आज्या….
श्री जयशंकर चौधरी ‘बनवारी’ द्वारा ‘मेरी छतरी के नीचे आजा’ गीत की तर्ज़ पर रचित सुप्रसिद्ध रचना ।