गिरधर मेरे मौसम आया धरती के श्रृंगार का (Girdhar Mere Mosam Aaya Dharti Ke Shringar Ka)

Girdhar Mere Mosam Aaya Dharti Ke Shringar Ka
गिरधर मेरे मौसम आया धरती के श्रृंगार का डाल डाल पर लग गए झूले बरसे रंग बहार का

 

तर्ज – हमदम मेरे

 

गिरधर मेरे मौसम आया,धरती के श्रृंगार का
डाल डाल पर लग गए झूले,बरसे रंग बहार का।।

 

उमड़ घुमड़ काली घटा,शोर मचाती है
स्वागत में तेरे सांवरा,जल बरसाती है
कोयलिया कूकती,मयूरी झूमती,
तुम्हारे बिन मुझको मोहन,बहारें फिकी लगती है।।(१)

 

चाँदी बरणी चाँदनी,अंग जलाती है
झरनों की ये रागिनी,दिल तड़पाती है
चली जब पुरवाई,तुम्हारी याद आई,
गुलों में अंगारे दहके,कसक बढ़ती ही जाती है।।(२)

 

ग्वाल बाल संग गोपियां,श्री राधे आई
आज कहो तुम्हें कौन सी,कुब्जा भरमाई
तुम्हारी राह में,मिलन की चाह में
बिछाएँ पलके बैठे है,तुम्हारी याद सताती है।।(३)

 

श्री राधे के संग में,झूलो जी मोहन
छेड़ रसीली बाँसुरी,शीतल हो तनमन
बजी जब बाँसुरी,खिली मन की कली
मगन “नन्दू” सारी सखियां,तुम्हें झूला झूलाती है।।(४)

 

गिरधर मेरे मौसम आया,धरती के श्रृंगार का

 

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