जरा सर को झुकाओ वसु देव जी थारी टोकरी में त्रिलोकी नाथ है (Jara Sar Ko Jhukao Vasudev Ji Thari Tokri Me Triloki Nath Hai)

Jara Sar Ko Jhukao Vasudev Ji Thari Tokri Me Triloki Nath Hai
जरा सर को झुकाओ वसु देव जी थारी टोकरी में त्रिलोकी नाथ है

 

तर्ज – जरा सामने तो आओ छलिये

 

जरा , सर को … झुकाओ , वसु देव जी
थारी , टोकरी में … त्रिलोकी , नाथ है
चूमने दो , चरण … मुझे , प्रेम से
आज , यमुना की … यही , फरियाद है

 

राम बने , गंगा तट , लांघे … मारे थे , अत्याचारी…2
आज ये , मुझको , पार करेंगे … मैं हु , इनकी , आभारी…2
मेरी , बून्द बून्द , हरसात है … छाई , काली घटा , बरसात है
चूमने दो , चरण , मुझे प्रेम से…

 

यमुना जी का , धीरज टूटा … उमड़ घुमड़ , कर , आई है
श्याम ने , चरण , बढ़ाये आगे … यमुना जी , हरसाई है
चरणो से , लगाय लियो , माथ है  … प्रभु प्रेम से , धरो , सिर पर , हाथ है
चूमने दो , चरण मुझे , प्रेम से …

 

चुम कर , प्रभु के , चरणों को … मन ही , मन में , नमन किया
वसुदेव जी , गोकुल , पहुंचे … खुद ही , रस्ता , बना दिया
बिन्नू , जग में , हुई ,  प्रभात है… लक्खा , डरने की , अब , क्या बात है
चूमने दो , चरण , मुझे प्रेम से …

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम यही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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