Jis Par O Sanwariya Tera Rang Chadh Jata Hai
जिस पर ओ सांवरिया तेरा रंग चढ़ जाता है
तर्ज – सावन का महीना पवन करे..
जिस पर ओ सांवरिया, तेरा रंग चढ़ जाता है।
सारे जीवन वो तो,फिर मौज उड़ाता है ।।
भर भर के पिये प्याला,वो तो तेरे नाम का,
उसको सुहाना लागे, रस्ता खाटूधाम का,
बस तेरे ही पथ पर,वो चलता जाता है।।(१)
धीरे धीरे बन जाता,तेरा वो दीवाना,
मस्ती में गाता रहता,तेरा ही तराना,
जहाँ कहीं भी जाये,तेरे गुण गाता है।।(२)
तेरे प्रेमियों से करता,सदा मुलाकाते,
रास ना आती उसको,दुनिया की बाते,
झूठी दुनियादारी,से वो घबराता है।।(३)
“बिन्नू” की विनती ये,श्याम सुन लीजिये,
भक्तों से मिलते रहिये,ऐसी युक्ति कीजिये,
इन रत्नों से मिलकर,बड़ा आनन्द आता है।।(४)
सारे जीवन वो तो,फिर मौज उड़ाता है