कैंया रुस्या बैठ्या हो खाटूवाला श्याम रे टाबर हूँ तेरो श्याम मन्नै तो पिछाण रे (Kaiya Rusa Baitha Ho Khatu Shyam Re Tabar Hu Tero Shyam Mane To Pichan Re)

Kaiya Rusa Baitha Ho Khatu Shyam Re Tabar Hu Tero Shyam Mane To Pichan Re
कैंया रुस्या बैठ्या हो खाटूवाला श्याम रे टाबर हूँ तेरो श्याम मन्नै तो पिछाण रे

 

तर्ज – छुप गया कोई रे दूर से पुकार के

 

कैंया रुस्या बैठ्या हो, खाटूवाला श्याम रे,
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

वो दिन याद करो, रोज घरां आंवता,
सुध म्हारी लेता हरदम, आता और जांवता,
अब क्यूँ थे सोग्या श्याम, करडी खूंटी ताण रे ।
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

आयो हूँ थारै दर पै, दुनिया सैं हार कै,
लाखां की बणगी बिगड़ी, श्याम तेरै द्वार पै,
मेरी भी बणादे श्याम, टाबर तेरो जाण के ।
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

चाण-चूकै सैं थारो, दौड़ कै आणो,
मन्नै ना पसंद आवै, घणो तरसाणो,
पड़गी धणीड़ा थानै, बड़ी खोटी बाण रे ।
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

थारै रुस्यां सैं श्याम, पार म्हारी पड़े ना,
म्हानै थारै बिना थानै, म्हारै बिन सरै ना,
दोन्यू हाथ मिलायां धुपसी, इतणी तो जाण रे ।
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

देरी पै देरी करो, मेरै ना समाई,
बेगा सा दौड़या आओ, कृष्ण-कन्हाई,
खोटी तो सुनाणी ना चाहूँ, अब तो पिछाण रे ।
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

‘आनन्दी’ चाकर थारी, सुध म्हारी लीज्यो,
थानै बुलावै ‘पवन’, बेगा दरस दीज्यो,
भगतां री लाज बचाल्यो, बढ़सी थारो मान रे ।
टाबर हूँ तेरो श्याम, मन्नै तो पिछाण रे ।।

 

स्वर्गीय पवन जी ऊँटवालिया द्वारा ‘छुप गया कोई रे, दूर से पुकार के’ गीत की तर्ज़ पर रचित भावपूर्ण रचना ।

 

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