कोई फागणियै मं चंग बाजै श्यामधणी नाचै (Koi Faganiye Me Chang Baje Shyam Dhani Naache)

Koi Faganiye Me Chang Baje Shyam Dhani Naache
कोई फागणियै मं चंग बाजै श्यामधणी नाचै

 

तर्ज – रुणक-झुनक पग नेवर बाजै

 

कोई फागणियै मं चंग बाजै, श्यामधणी नाचै,
श्यामधणी नाचै, आज म्हारो मोटो धणी नाचै ।।

 

आलूसिंह सिणगार करयो श्री श्याम की मूरत को,
चेहरो बदल दिन्यो चंदन सैं, सांवळी सूरत को,
कोई भगतां नै प्यारो लागै, श्यामधणी नाचै ।।
कोई फागणियै मं चंग बाजै …….

 

श्यामबहादुर श्याम को प्रेमी, याद बहुत आवै,
याद करयां घनश्यामदास नै, आंख्या भर आवै,
कोई देखो सांची प्रीत लगाकै, श्यामधणी नाचै ।।
कोई फागणियै मं चंग बाजै …….

 

ग्यारह महीनां श्यामधणी की, खूब करां मनुहार,
जद होवै फागण मं बाबो, लीलै पर असवार,
कोई लीलो घोड़ो ले सागै, श्यामधणी नाचै ।।
कोई फागणियै मं चंग बाजै …….

 

राधा कै सागै नाच्यो यो, बणकै नन्दजी रो लाल,
‘बनवारी’ मीरां कै सागै, नाच्यो मदनगोपाल,
यो खाटू मं भगतां कै सागै, श्यामधणी नाचै ।।
कोई फागणियै मं चंग बाजै …….

 

श्री जयशंकर चौधरी ‘बनवारी’ द्वारा सुप्रसिद्ध भजन ‘रुणक-झुनक पग नेवर बाजै, गजानन्द नाचै’ की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।

 

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