म्हानै बाबा आस थारी छोटी सी अरदास म्हारी म्हारा बापजी सिर पे रखीजे हाथ Mahane Baba Aas Thari Mahara Bapji Sir Par Rakhije Hath

Mahane Baba Aas Thari Mahara Bapji Sir Par Rakhije Hath
म्हानै बाबा आस थारी छोटी सी अरदास म्हारी म्हारा बापजी सिर पे रखीजे हाथ

 

तर्ज – ओळ्यूं / ओल्यू

 

म्हानै बाबा आस थारी,
छोटी सी अरदास म्हारी,
म्हारा बापजी, सिर पे रखीजे हाथ,
म्हारा श्यामजी, सिर पे रखीजे हाथ ।।

 

थे ही बाबुल थे ही मायड़,
म्है बाबाजी थारा टाबर,
दौड्यो-दौड्यो जद मैं आऊँ,
थोड़ो सो मैं लाड चाहूँ,
म्हारा बापजी, सिर पे रखीजे हाथ,
म्हारा श्यामजी, सिर पे रखीजे हाथ ।।

 

सोणी सी लगे थारी हवेली,
थारा प्रेमी संगी सहेली,
खेलूं-कूदूं मैं तो डोलूँ,
थांसै बाबा इतनो बोलूँ,
म्हारा बापजी, सिर पे रखीजे हाथ,
म्हारा श्यामजी, सिर पे रखीजे हाथ ।।

 

नगरी में थारी मौज घणेरी,
चौखी सी लागे गळियां तेरी,
थारो अंगणों छोड़ू कैंया,
थांसै मैं मुख मोडूँ कैंया,
म्हारा बापजी, सिर पे रखीजे हाथ,
म्हारा श्यामजी, सिर पे रखीजे हाथ ।।

 

ग्यारस की ग्यारस मिलबा नै आऊँ,
‘रोमी’ कह्वै जद लौट के जाऊँ,
छूटे जद भी नगरी थारी,
आंख्या भर-भर आवै म्हारी,
म्हारा बापजी, सिर पे रखीजे हाथ,
म्हारा श्यामजी, सिर पे रखीजे हाथ ।।

 

श्री हरमहेन्द्रपाल सिंह ‘रोमी’ द्वारा रचित भावपूर्ण रचना । तर्ज़ – स्वरचित (ओळ्यूं)

 

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