Milne Ko Jab Jab Bhi Jee Lalchata Hai Prem Tumhara Humko Khatu Kheench Lata Hai
मिलने को जब जब भी जी ललचाता है प्रेम तुम्हारा हमको खाटू खींच लाता है
तर्ज – तुझको ना देखूँ तो
मिलने को जब-जब भी, जी ललचाता है,
प्रेम तुम्हारा हमको खाटू, खींच लाता है ।
आँखों में जब तेरा, चेहरा आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको खाटू, खींच लाता है ।।
खाटू के गाँव की वो तंग गलियां,
बाबा के धाम की फूलों की बगियां,
खाटू की माटी की खुशबू सुहानी,
बाबा के कुण्ड का वो निर्मल पानी,
मन का मैल नहाने से, सब धुल जाता है ।
प्रेम तुम्हारा हमको खाटू, खींच लाता है ।।
खाटू में जाते हम तो अकेले,
मिलते वहाँ पर खुशियों के मेले,
बाबा के प्रेमियों का ऐसा परिवार है,
भक्तों में प्रेम का बंटता उपहार है,
रह-रह के ख्यालों में, जब ये आता है ।
प्रेम तुम्हारा हमको खाटू, खींच लाता है ।।
ऐसा क्या तुमने जादू चलाया,
‘मोहित’ को तुमने अपना बनाया,
आँखों से अश्क़ का बहता सैलाब है,
तुम्हारी याद में दिल ये बेताब है,
ऐसा क्यूँ होता है, समझ ना आता है ।
प्रेम तुम्हारा हमको खाटू, खींच लाता है ।।
श्री आलोक गुप्ता ‘मोहित’ द्वारा ‘तुझको ना देखूँ तो, जी घबराता है’ गीत की तर्ज़ पर रचित रचना
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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