Paidal Aasa O Sanwariya Thari Khatu Nagri Paidal Aasa Re
पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी पैदल आस्यां रे
तर्ज – धमाल
पैदल आस्यां ओ साँवरिया
थारी , खाटू नगरी ।।
पैदल आस्यां रे
घणा दिनां सैं आस लाग रही,
श्याम का दर्शन करस्यां हो,
श्याम धणी थे महर करो, सालूणा आस्यां हो ।।
पैदल आस्यां ओ साँवरिया…..
खाटू वाळा खारडै का,
टेढ़ा-मेढ़ा गेला हो,
फिर भी मनड़ो मानै कोनी, दर्शन करस्यां हो ।।
पैदल आस्यां ओ साँवरिया…..
श्याम मंडल कै सागै बाबा,
नाच-कूदता आस्यां हो,
टाबरियां की लाज राखिये, भजन सुणास्यां हो ।।
पैदल आस्यां ओ साँवरिया…..
भगतां नै भी ल्यास्यां सागै,
घरकां नै भी ल्यास्यां हो,
कहे ‘बनवारी’ रंग-बिरंगी, ध्वजा चढास्यां हो ।।
पैदल आस्यां ओ साँवरिया…..
श्री जयशंकर चौधरी ‘बनवारी’ द्वारा रचित सुप्रसिद्ध एवं सर्वप्रिय ‘धमाल’ ।