Tera Mera Sanware Kaisa Nata Hai
तेरा मेरा साँवरे कैसा नाता है
तर्ज – तेरे मेरे प्यार का
|| दोहा ||
लागी-लागी जग कहे, पण लागी वो ही जाण ।
खोड़ बिचारी यहाँ पड़ी, पास पिया के प्राण ।।
तेरा मेरा साँवरे, कैसा नाता है
दिन हो चाहे रात हो, तेरा सपना आता है ।। टेर ।।
मीत बना तूँ मेरा, और प्रीत लगाई ऐसी
दुनिया बनाने वाले, ये रीत चलाई कैसी
ना जाने तूँ कैसा-कैसा, खेल रचाता है ।। û ।।
जिसको भी तूँ चाहे, उसको अपना बनाले
सब कुछ तेरे बस में, तुम ही करने वाले
कर ना सके कोई भी, वो तूँ कर के दिखाता है ।। ü ।।
अब ना टूटे कान्हा, ये तेरा मेरा बन्धन
मेरा कुछ भी नहीं है, तेरा तुझको अर्पण
‘बनवारी’ इस दिल को केवल, तू ही भाता है ।। ý ।।