Teri Mehar Ka Kya Hai Bharosa Kab Kis Par Ye Ho Jaye
तेरी महर का क्या है भरोसा कब किस पर ये हो जाए
तर्ज – बड़े दिनों से मेरा कन्हैया
तेरी महर का , क्या है , भरोसा,..कब , किस पर , ये हो जाए
इसी आश में , हम भी बैठे,…शायद , हम पर , हो जाए।।
जिस पर तेरी , महर हो गई,.-2..वो भवसागर , पार हुआ,
चाहे जितने , पाप किए हो.-2..,उसका तो , उद्धार हुआ,
गिद्ध अजामिल , गणिका जैसे,-2…तेरी महर से , तर पाए।।(१)
ध्रुव प्रहलाद पे , कृपा हुई तो-2…,नित तेरा , गुणगान किया,
चाहे जितनी , आफत आई-2,…फिर भी तेरा , नाम लिया,
मीरा हो गई , श्याम दीवानी-2,…श्याम श्याम , ही मन भाए।।(२)
श्री चरणों की , सेवा देकर-2…,है मालिक , कल्याण करो,
सूना सूना , दिल का आंगण,-2…आकर , दिल में , वास करो,
सुने दिल के , दर्द को समझो-2…,काहे , इतना तरसाए।।(३)
जन्मों का है , साथ हमारा-2…,बहुत हुआ , अब माफ करो,
करके एक , नजर मनमोहन…,अपनो से , कुछ बात करो,
“नन्दू” कब तक , महर ना होगी-2…,देखे , कब तक , ठुकराए।।(४)
तेरी महर का क्या है भरोसा,कब किस पर ये हो जाए