Teri Yad Me Rote Hai Jagte Hai Na Sote Hai
तेरी याद में रोते हैं जगते हैं न सोते हैं
तर्ज – संसार है एक नदिया
|| दोहा ||
कन्हैया तेरी याद में, मनवा भया बैचेन ।
आँखो में सूरत तेरी, चैन नहीं दिन रैन ।।
तेरी याद में रोते हैं, जगते हैं न सोते हैं
उल्फत में तेरी मोहन, दामन को भिगाते हैं ।। टेर ।।
ये कैसी उल्पफत है, कुछ समझ नहीं आवे
प्रियतम को मेरे मुझ पर, कोई तरस नहीं आवे
ये कैसी अवस्था है, क्या प्रीत के गोते हैं ।। û ।।
गर प्रीत है ये मोहन, ये प्रीत अजूबी है
प्रे मी काे रूलाना ही, क्या प्रीत की खूबी है
हम प्रीत के मारे ताे, जीते हैं न मरते हैं ।। ü ।।
करूणा के सागर हो, करूणा तो दिखलावो
हम हार गये मोहन, इतना तो न अजमावो
‘नन्दू’ मिलले प्यारे, अरमान सिसकते हैं ।। ý ।।