बाबाजी थारी याद सतावै जी दरशन को लाग्यो चाव काळजो भर भर आवै जी (Baba Ji Thari Yad Satave Ji Darsan Ko Lago Chav Kaljo Bhar Bhar Ave Ji)

Baba Ji Thari Yad Satave Ji Darsan Ko Lago Chav Kaljo Bhar Bhar Ave Ji
बाबाजी थारी याद सतावै जी दरशन को लाग्यो चाव काळजो भर भर आवै जी

 

तर्ज – जकड़ी / श्याम थारी ओळयूं आवै जी

 

बाबाजी थारी याद सतावै जी,
दरशन को लाग्यो चाव, 
काळजो भर-भर आवै जी ।।

 

थे म्हारा बाबा ओळा-ढोला, दुनिया मं थारो नाम,
थारै कारण खाटू नगरी, बण गई खाटू धाम,
पार थारो कोई ए ना पावै जी ।।
दरशन को लाग्यो चाव, काळजो…..

 

दाता थारै द्वार पै जी, हो रही जय-जयकार,
बालकिया चरणां मं ऊबा, बेगा सुणो पुकार,
मिल्या बिन धीर न आवै जी ।।
दरशन को लाग्यो चाव, काळजो…..

 

थारी महर नजर हो ज्यावै, कर द्यो मालामाल,
बाबाजी थारी चौखट पर, सेवक करै सवाल,
लाज म्हारी श्याम बचावै जी ।।
दरशन को लाग्यो चाव, काळजो…..

 

श्यामधणी की घर-2 मांही, हो रही जगमग ज्योत,
श्यामबहादुर ‘शिव’ मनमौजी, मन्नै भरोसो भोत,
लाज हर बार बचावै जी ।।
दरशन को लाग्यो चाव, काळजो…..

 

श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा राजस्थानी तर्ज़ जकड़ी (श्याम थारी ओळयूं आवै जी) की तर्ज़ पर रचित अनमोल भाव भरी रचना ।

 

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