बाबा तेरी महफ़िल की रंगत ही निराली है श्री श्याम के भक्तों की संगत ही निराली है (Baba Teri Mehfil Ki Rangat Nirali Hai Shyam Ke Bhakto Ki Sangat Hi Nirali Hai)

Baba Teri Mehfil Ki Rangat Nirali Hai Shyam Ke Bhakto Ki Sangat Hi Nirali Hai
बाबा तेरी महफ़िल की रंगत ही निराली है श्री श्याम के भक्तों की संगत ही निराली है

 

तर्ज – बचपन की मुहब्बत को

 

बाबा तेरी महफ़िल की, रंगत ही निराली है,
श्री श्याम के भक्तों की, संगत ही निराली है ।।

 

संगत यही चरणों में, नजरों को बिछाई है,
हारा हुआ प्राणी हूँ, ये ही मेरी कमाई है,
मेरे लिये सुख-दुख में, हर रोज दिवाली है ।।
श्री श्याम के भक्तों की संगत…..

 

तेरे चाहने वालों से, कुछ मुझको भी लेना है,
हो जाये महर तेरी, मौका मुझे देना है,
बस की मेरे बात नहीं, आँखें जी मिलाली है ।।
श्री श्याम के भक्तों की संगत…..

 

सपनों को सजाना है, तेरा हुकुम बजाना है,
मुश्किल से भी मुश्किल है, तो दिल का लगाना है,
यादों को तेरी प्यारे, इस दिल से लगाली है ।।
श्री श्याम के भक्तों की संगत…..

 

ये श्यामबहादुर की, उल्फ़त का तकाजा है,
तेरी तूं ही जाने, ‘शिव’ का अंदाजा है,
मंजिल से लगा देना, जब रास सम्हाली है ।।
श्री श्याम के भक्तों की संगत…..

 

श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा ‘बचपन की मुहब्बत को, दिल से ना जुदा करना’ गीत की तर्ज़ पर रचित भावभरी रचना ।

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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