चलो ना साँवरे के दर वहीं दिन बीत जायेंगें (Chalo Na Sanwre Ke Dar Vahi Din Beet Jayenge)

Chalo Na Sanwre Ke Dar Vahi Din Beet Jayenge
चलो ना साँवरे के दर वहीं दिन बीत जायेंगें

 

तर्ज – खिलौना जानकर तुम

 

चलो ना साँवरे के दर, वहीं दिन बीत जायेंगें,
सुना है भजनों से रीझे, नये हम गीत गायेंगे ।।

 

सुना है हार कर जो भी, शरण में इनकी आता है,
के देखे ना कभी फिर हार, सहारा जब वो पाता है,
अभी तक हारते आये, की हम भी जीत जायेंगे ।।
चलो ना साँवरे के दर, वहीं …..

 

गुनाह करतें हैं जो पापी, सुना वो भी यहाँ तरते,
है मिलती माफी उनको भी, गले से वोभी हैं लगते,
गुनाह होंगे हमारे माफ, हमें भी मीत बनायेंगे ।।
चलो ना साँवरे के दर, वहीं …..

 

सुना है प्रेमी का प्रेमी, इसे बस प्रेम भाता है,
तभी तो दानी है ये श्याम, ये करुणा ही बहाता है,
कहे ‘निर्मल’ की श्याम के दर से, हम भी प्रीत पायेंगे ।।
चलो ना साँवरे के दर, वहीं …..
श्री निर्मल झुंझुनुवाला द्वारा ‘खिलौना जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।

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