छुट्यो जावै रै साँवरा यो धीरज म्हारो रे हिवड़ो यो पूछै रै थांसै बात साँवरा (Chutyo Jave Re Sanwara Yo Dheeraj Maharo Re Hivdo Yo Puche Re Thaanse Baat Sanwra)

Chutyo Jave Re Sanwara Yo Dheeraj Maharo Re Hivdo Yo Puche Re Thaanse Baat Sanwra
छुट्यो जावै रै साँवरा यो धीरज म्हारो रे हिवड़ो यो पूछै रै थांसै बात साँवरा

 

तर्ज – झीणी-झीणी रात मं थारी ओळ्यूं आवै रे / पाछा जातां साँवरा म्हारो जी दुःख पावै रे

 

छुट्यो जावै रै साँवरा, यो धीरज म्हारो रे,
हिवड़ो यो पूछै रै, हिवड़ो यो पूछै रै,
हिवड़ो यो पूछै थांसै बात साँवरा ।।

 

मिलबा नै थांसू बाबा, आऊँ घणै चाव सैं,
बाबा थारै मंदरियै मं, जाऊँ बड़े चाव सैं,
देख म्हानै मुळकै रै, देख म्हानै मुळकै रै,
देख म्हानै मुळकै रै दिलदार साँवरा ।।
छुट्यो जावै रै साँवरा, यो……

 

जी म्हारो चाह्वै थानै, साथीड़ो बणाऊँ जी,
बाँह पकड़कै सागै, मैं तो ळे आऊँ जी,
फेर थांसू पूछूं रै, फेर थांसू पूछूं रै,
फेर थांसू पूछूं, दिल की बात साँवरा ।।
छुट्यो जावै रै साँवरा, यो……

 

थांसै बिछड़कै थारी, बातां याद आवै जी,
ग्यारस की इक-इक बाबा, रात याद आवै जी,
कंईया नचावै तूं, कंईया नचावै तूं,
कंईया नचावै, सारी रात साँवरा ।।
छुट्यो जावै रै साँवरा, यो……

 

खाटू सैं आकै सबसै, पूछूँ याही बात जी,
फेर कद आसी ‘रोमी’, ग्यारस की रात जी,
कद थांसै होसी जी, फेर कद होसी जी,
कद थांसै होसी, मुलाक़ात साँवरा ।।
छुट्यो जावै रै साँवरा, यो……

 

श्री हरमहेन्द्रपाल सिंह ‘रोमी’ द्वारा राजस्थानी गीत ‘झीणी-झीणी रात मं, थारी ओळ्यूं आवै रे’ (पाछा जातां साँवरा, म्हारो जी दुःख पावै रे) की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।

 

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