Daas Tera Mere Shyam Baba Dar Pe Aane Ke Kabil Nhi Hai
दास तेरा मेरे श्यामबाबा दर पे आने के काबिल नही है
तर्ज – कव्वाली
दास तेरा मेरे श्यामबाबा,
दर पे आने के काबिल नही है,
तूने लाखों की बिगड़ी बनाई,
तारना मेरा मुश्किल नहीं है ।।
भव के सागर का गहरा है पानी,
नाव जीवन की है कुछ पुरानी,
तेरी हो जाये गर मेहरबानी,
दूर फिर कोई मंजिल नहीं है ।।
मैंने जग में तो इतना ही पाया,
कोई अपना नहीं सब पराया,
तेरे कदमों में जो सिर झुकाया,
कोई तेरे मुकाबिल नहीं है ।।
बेकशों पे दया करने वाले,
मेरी कश्ती है तेरे हवाले,
कोई रस्ता नहीं है खाटूवाले,
मैंने देखा जहाँ तूं ही तूं है ।।
ऐसी माया ने आकर के घेरा,
नाम लेने ना देती है तेरा,
माफ मेरी खता ना करो तुम,
ऐसा पत्थर तेरा दिल नहीं है ।।
अज्ञात लेखक द्वारा रचित अति प्राचीन एवं सुपरिचित क़व्वाली ।
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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