दातार हो तो दया तुम दिखादो गुजारूं ये जीवन कैसे इतना सीखा दो (Daatar Ho To Daya Tum Dikhado Gujaru Ye Jeevan Kaise Itna Batado)

Daatar Ho To Daya Tum Dikhado Gujaru Ye Jeevan Kaise Itna Batado
दातार हो तो दया तुम दिखादो गुजारूं ये जीवन कैसे इतना सीखा दो

 

तर्ज – सागर किनारे दिल ये पुकारे

 

दातार हो तो, दया तुम दिखादो,
गुजारूं ये जीवन कैसे, इतना सीखा दो ।।

 

बाँध सबर का टूट ना जाये,
जिन्दगी ये मेरी मुझसे रूठ ना जाये,
साथ ये अपना छूट ना जाये,
सहने मैं पाऊँ, ऐसी सजा दो ।।
गुजारूं ये जीवन कैसे, इतना…..

 

चौखट पे तेरी पटक सर रहा हूँ,
साँसे तो लेता हूँ मगर मर रहा हूँ,
बस इतनी तुमसे अरज कर रहा हूँ,
चरणों में अपने, मुझको जगह दो ।।
गुजारूं ये जीवन कैसे, इतना…..

 

दिल की ये बातें तुमसे कहेंगे,
दुख और कितने प्रभु हम सहेंगे,
हम तो हैं तेरे, तेरे रहेंगे,
‘माधव’ की बगिया, अब तो खिला दो ।।
गुजारूं ये जीवन कैसे, इतना…..

 

श्री अभिषेक शर्मा ‘माधव’ द्वारा ‘सागर किनारे, दिल ये पुकारे’ गीत की तर्ज़ पर रचित भावपूर्ण रचना ।

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
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