Jabse Main Baba Aapki Choukhat Pe Aa Raha Hu
जबसे मे बाबा आपकी चौखट पे आ रहा हूँ
तर्ज – एक बार हमसे साँवरे
जबसे मे बाबा आपकी चौखट पे आ रहा हूँ।
बिन माँगे इस जहां की,खुशियां मैं पा रहा हूँ।।
दर दर भटक रहा था,कोई ना था सहारा,
ठुकरा दिया था जग ने,तब हाथ तूने थामा,
उँगली पकड़ के तेरी,मैं बढ़ता ही जा रहा हूँ।।(१)
इतना दिया है तूने,कोई कमी नही है,
कदमों में है मेरा सर, और आँखों में नमी है,
न चुका सकूंगा फिर भी,लेता ही जा रहा हूँ।।(२)
कोई साथ दे या ना दे,तुम साथ साथ रहना,
तुमने हमें सिखाया,हर दुख को हँस के सहना,
दिवानगी मे तेरी,मैं खुद को भुला रहा हूँ।।(३)
काबिल नही था तेरे, काबिल मुझे बनाया,
पत्थर था रास्ते का,हीरा मुझे बनाया,
ऐहसा तले तुम्हारे,मैं दबता ही जा रहा हूँ।।(४)
जब से मे बाबा आपकी चौखट पे आ रहा हूँ