Kanhiya To Hamara Saathi Hai Garibo Ka Sahara Hai
कन्हैया तो हमारा साथी है गरीबों का सहारा है
तर्ज – सूरज कब दूर गगन से
जब-जब भी इन्हें पुकारा, कान्हा ने दिया सहारा,
ये दूर नहीं है हमसे, बस याद करो इन्हें मन से,
कन्हैया तो हमारा साथी है, गरीबों का सहारा है ।।
हमसे दूर नहीं है, करता है रखवाली,
जिसने किया भरोसा, कान्हा ने डोर सम्हाली,
जो इनके पाँव पकड़ले, ये उसका हाथ पकड़ले ।।
कन्हैया तो हमारा साथी है…..
अपने भगत पे हमेशा, दया किया करते हैं,
उनको पार लगाये, जो नाम लिया करते हैं,
ये चार दिनों का जीवन, कान्हा को करदे अर्पण ।।
कन्हैया तो हमारा साथी है…..
इनका साथ मिले तो, हर मुश्किल टल जाये,
हो घनघोर अन्धेरा, मंजिल मिल ही जाये,
बिन पानी नाव चलादे, ‘बनवारी’ बिगड़ी बनादे ।।
कन्हैया तो हमारा साथी है…..
श्री जयशंकर चौधरी ‘बनवारी’ द्वारा ‘सूरज कब दूर गगन से’ गीत की तर्ज़ पर रचित भजन ।