कुणसी घडी मं थांसै आँख लड़ाई आँख लड़ाई थारी भोत याद आई (Kun Si Ghadi Me Thaanse Aankh Ladaai Thari Bhot Yaad Aai)

Kun Si Ghadi Me Thaanse Aankh Ladaai Thari Bhot Yaad Aai
कुणसी घडी मं थांसै आँख लड़ाई आँख लड़ाई थारी भोत याद आई

 

तर्ज – सारी सारी रात तेरी याद

 

कुणसी घडी मं थांसै आँख लड़ाई,
आँख लड़ाई, थारी भोत याद आई ।।

 

दिल को खजानों मेरो, खोल कै दिखायो मैं,
जाण कै जुलम करयो, रोग यो लगायो मैं,
हिवड़ो मिलाकै थांसै, बड़ी चोट खाई ।।
कुणसी घडी मं थांसै….

 

बांसरी की तान तेरी, लेय गई लूट कै,
कई टूक होय गया, काळजै का टूट कै,
बाँकी लटक तेरी, मेरै मन भाई ।।
कुणसी घडी मं थांसै….

 

मोल दरद लियो, ग्वाळियै सैं फँस कै,
मन्नै कांई बेरो मन्नै, मार गयो हँस कै,
तूं ही कन्हैया मेरै, दिल की दवाई ।।
कुणसी घडी मं थांसै….

 

प्रीत खिड़कियां सैं, कदै झाँक ज्याये तूं,
भूल नहीं जाऊँ तेरी, याद दुवाये तूं,
मत ना तूं जाणै मेरी, पीड़ पराई ।।
कुणसी घडी मं थांसै….

 

श्यामबहादुर ‘शिव’, दरबान दर को,
साथी है तूं ही मेरै, लंबै सफर को,
सदियां सैं दाता थारी, हाजरी बजाई ।।
कुणसी घडी मं थांसै….

 

श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा ‘सारी-सारी रात तेरी याद सताये’ गीत की तर्ज़ पर रचित भावपूर्ण रचना ।

 

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