कुण सुणेलो कीनै सुणाऊँ मनडै री बातां म्हारी कीनै बताऊँ (Kun Sunelo Kine Sunau Mande Ri Baatan Mahari Kine Batau)

Kun Sunelo Kine Sunau Mande Ri Baatan Mahari Kine Batau
कुण सुणेलो कीनै सुणाऊँ मनडै री बातां म्हारी कीनै बताऊँ

 

तर्ज – नानी बाई को मायरो

 

कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ,
मनडै री बातां म्हारी, कीनै बताऊँ ।।

 

बाबुल आयो सागै, सूरयां नै ल्यायो,
भात भरण नै, कुछ भी ना ल्यायो,
सास-नणद पूछै, कांई बताऊँ ।
कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ ।।

 

गाँव-गळी रा म्हारी, हाँसी उडावै,
मोडियां री जाई म्हानै, सगळा बतावै,
निर्धनियां री आज, बेटी कहाऊँ ।
कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ ।।

 

मायड़ बिन कुण, हिवड़ै लगावै,
बीर बिना कुण, चुनड़ी उढ़ावै,
काळजो फाट्यो जावै, क्यांमें बड़ जाऊँ ।
कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ ।।

 

जनमी जद मायड़, मार दी होती,
आज मायड़ मैं, पछताती ना रोती,
डूब मरूँ पण, घर नहीं जाऊँ ।
कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ ।।

 

इसड़ो के मैं, पाप कमायो,
ना मायड़ ना, माँ को जायो,
कंईया मनडै नै मैं, धीरज बँधाऊँ ।
कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ ।।

 

जीवन बिरथा, लाज गँवाकै,
के मैं करूंगी, घर मं जाकै,
डूब मरूँ पर, घर नहीं जाऊँ ।
कुण सुणेलो, कीनै सुणाऊँ ।।

 

स्व. ताराचन्द जी शर्मा द्वारा रचित ‘नानी बाई को मायरो’ में राजस्थानी तर्ज़ पर लिखी गई रचना ।

 

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