Tere Charno Me Behkar Bekar Jate Hai Shyam Mere Aasu Bhi Kyu Har Jate Hai
तेरे चरणों में बहकर बेकार जाते हैं ऐ श्याम मेरे आँसू भी क्यु हार जाते हैं
तर्ज – बिन सजनी के साजन
|| दोहा ||
अरजी सुनल्यो साँवरा, मतां लगावो देर ।
देर कैया पत जायसी, सुनो भगत की टेर ।।
तेरे , चरणों में , बहकर .. बेकार , जाते हैं
ऐ श्याम , मेरे आँसू भी .. क्यु , हार जाते हैं ।। टेर ।।
आँखो की , पुतली से,…पलकों , तक आते हैं
पलको के , किनारे…चरणों , तक आते हैं
जब आँखे , मिल जाती है,… बेशुमार , आते हैं ।। û ।।
तेरे , चरणों में , बहकर .. बेकार , जाते हैं
दो चार , छलकते हैं, … तेरे , आने से , पहले
दो चार , छलकते हैं,.. तेरे , जाने से , पहले
तुम लौट , जाते हो तो…, दो चार , आते हैं ।। ü ।।
तेरे , चरणों में , बहकर .. बेकार , जाते हैं
बडे दर्द , उठाने से ये…., सौगात , मिली हमको
तेरे चरणों , से जाने…, क्या प्रीत , हुई इनको
हर बार मना करते हैं , हर बार आते हैं ।। ý ।।
तेरे , चरणों में , बहकर .. बेकार , जाते हैं
इतनी रफ्तार से ये, कहीं और बहे होते
जीवन की ये बाजी, हम जीत गये होते
‘संजू’ होकर हम इस दर पे, लाचार आते हैं ।। þ ।।