Teri Choukhat Pe Baba Jindagi Sajne Lagi
तेरी चौखट पे ओ बाबा जिन्दगी सजने लगी
तर्ज – साँवली सूरत पे मोहन
तेरी चौखट पे ओ बाबा, जिन्दगी सजने लगी,
जिन्दगी सजने लगी, जिन्दगी सजने लगी ।।
जो भी तेरे दर पे आया, कुछ ना कुछ लेके गया,
हौले-हौले ही सही पर, जिन्दगी सजने लगी ।।
तेरी चौखट पे ओ बाबा……
ढूंढ आया सारे जग में, देव तुमसा ना मिला,
तेरा दरवाजा खुला और, जिन्दगी सजने लगी ।।
तेरी चौखट पे ओ बाबा……
तूं मुहूरत तूं ही तीरथ, तूं ही सबकुछ है मेरा,
हाथ मेरा तुमने थामा, जिन्दगी सजने लगी ।।
तेरी चौखट पे ओ बाबा……
तेरी नजरें ओ कन्हैया, हमपे तूं रखना सदा,
छोटी सी ख्वाहिश ही मेरी, जिन्दगी सजने लगी ।।
तेरी चौखट पे ओ बाबा……
श्री पंकज अग्रवाल (बड़ोदा) द्वारा ‘साँवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया’ भजन की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।