Tharo Maharepe Ghano Ehsan Chukava Kaiya Shyam Dhani
थारो महार पे घणो अहसान चुकावाँ कईंया श्याम धणी
तर्ज – देशी
थारो महार पे घणो अहसान, चुकावाँ कईंया श्याम धणी ।। टेर ।।
भटक भटक कर हार गया जद, थारी शरण मं आया
सँकट की घड़ियाँ में मिलगी, म्हान तो छत्तर छाया
चुकावाँ कईंया…।।
जद जद म्हाँ पर आफत आवे, कदे ना देर लगावो
म्हे तो कुछ भी समझ न पावां, कईंया सी थे सलटावो
चुकावाँ कईंया…।।
म्हार घर का हर ठींचा न, थे ही आप सम्हालो
म्हें तो खूँटी ताण के सोवां, थे ही तो देखो भालो
चुकावाँ कईंया…।।
म्हान तो कुछ पिफकर नहीं है, कईंया चले गृहस्थी
थे ही पालनहार हो बाबा, म्हे तो लूटां हाँ मस्ती
चुकावाँ कईंया…।।
हाथ जाेड़कर ‘बिन्नू’ थार, चरणां शीश नवावे
ऐसी लगन लगादयो बाबा, थार मं यो रम जावे
चुकावाँ कईंया…।।
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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