Tumhara Tha Tumhara Hu Tumhara Hi Rahunga Main
तुम्हारा था तुम्हारा हूँ तुम्हारा ही रहूँगा मैं मुझे जो भी जरूरत हो प्रभु तुमसे कहूँगा मैं
तर्ज – मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा
तुम्हारा था,तुम्हारा हूँ, तुम्हारा ही रहूँगा मैं।
मुझे जो भी जरूरत हो,प्रभु तुमसे कहूँगा मैं।।
तेरा मेरा जो रिश्ता है,कई जन्मों पुराना है,
इसे आगे भी जन्मों तक,प्रभु तुमको निभाना है,
ये निश्चित जान ले तेरी,यूँ ही सेवा करूँगा मैं।।(१)
तेरे दीदार की दिल में,मेरे उठती उमंगे है,
तेरे ही वास्ते बाबा,या भावों की तरंगें है,
तेरी मस्ती की धारा में,सदा यूँ ही बहूँगा मैं।।(२)
मुझे ये रास न आते,सभी स्वारथ के हैं पुतले,
गैर तो गैर होते है,मुझे अपने भी ना समझे,
मिला जो दर्द दुनियाँ से,उसे हँस कर सहूँगा मैं।।(३)
ये जो कुछ आज है “बिन्नू”,प्रभु तेरी बदौलत है,
बड़ा सौभाग्यशाली हूँ, मिली मुझको ये दौलत है,
सदा तेरी धरोहर को,सँजोकर के रखूँगा मैं।।(४)
मुझे जो भी जरूरत हो,प्रभु तुमसे कहूँगा मैं