तुम्हारी शरण मिल गई साँवरे तुम्हारी कसम जिन्दगी मिल गई (Tumhari Sharan Mil Gai Sanware Tumhari Kasam Zindagi Mil Gai)

Tumhari Sharan Mil Gai Sanware Tumhari Kasam Zindagi Mil Gai
तुम्हारी शरण मिल गई साँवरे तुम्हारी कसम जिन्दगी मिल गई

 

तर्ज – तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गई

 

तुम्हारी शरण मिल गई साँवरे,
तुम्हारी कसम जिन्दगी मिल गई ।
हमें देखने वाला कोई ना था,
तुम तो मिले बन्दगी मिल गई ।।

 

बचाते न तुम डूब जाते कन्हैया,
कैसे लगाते किनारे पे नैया,
ग़म-ए-जिंदगी से परेशान थे,
रोते लबों को हँसी मिल गई ।।
हमें देखने वाला कोई ना …….

 

समझ के अकेला सताती ये दुनिया,
सितम पे सितम हमपे ढाती ये दुनिया,
गनीमत है ये तुम मेरे साथ हो,
मुझे आपकी दोस्ती मिल गई ।।
हमें देखने वाला कोई ना …….

 

मुझे श्याम तुम पे भरोसा बहुत है,
तुमने हमें पाला-पोसा बहुत है,
आंखों का मेरी उजाला हो तुम,
अंधकार को रोशनी मिल गई ।।
हमें देखने वाला कोई ना …….

 

मुझे साँवरे इतना काबिल बना दो,
प्रेम की ज्योति हृदय में जगा दो,
ऊँगली उठाकर कोई ना कहे,
‘संजू’ के दिल में कमी मिल गई ।।
हमें देखने वाला कोई ना …….

 

श्री संजू शर्मा द्वारा तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गई’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम सर्वप्रिय रचना

 

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