चरणों में बीते ये जिन्दगानी इतनी तमन्ना है शीश के दानी (Charno Me Bite Ye Jindgani Itani Tammana Hai Sheesh Ke Daani)

Charno Me Bite Ye Jindgani Itani Tammana Hai Sheesh Ke Daani
चरणों में बीते ये जिन्दगानी इतनी तमन्ना है शीश के दानी

 

तर्ज – दो  लफ़्ज़ों की है ये

 

चरणों में बीते, ये जिन्दगानी,
इतनी तमन्ना है, शीश के दानी ।।

 

तूने ही बाबा हमको बनाया,
जो कुछ भी पाया, तुमसे ही पाया,
हर पल रहे बस, ये मेहरबानी,
इतनी तमन्ना है, शीश के दानी ।।

 

होठों पे तेरा नाम मैं सजाऊँ,
इतनी दया बस, श्याम मैं पाऊँ,
हर शाम हो मेरी, तुमसे सुहानी,
इतनी तमन्ना है, शीश के दानी ।।

 

तूं जो सिखाये, मैं सीख पाऊँ,
तेरी ही राहों पे, मैं बढ़ता जाऊँ,
प्यार रहे और प्रीत निभानी,
इतनी तमन्ना है, शीश के दानी ।।

 

मुझसे ना रूठे, ना साथ छूटे,
ये तार अपना बाबा ना टूटे,
यूँ ही ‘निखिल’ पे, कृपा बरसानी,
इतनी तमन्ना है, शीश के दानी ।।

 

श्री अभिषेक शर्मा ‘निखिल’ द्वारा ‘दो  लफ़्ज़ों की है ये कहानी, या तो मुहब्बत,  या फिर जवानी’ गीत की तर्ज़ पर रचित  श्याम वन्दना ।

 

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