Charno Me Tere Mila Jo Thikana Pyase Ko Mano Sawan Mila Hai
चरणों में तेरे मिला जो ठिकाना प्यासे को मानो सावन मिला है
तर्ज – सागर किनारे दिल ये पुकारे
चरणों में तेरे, मिला जो ठिकाना,
प्यासे को मानो, सावन मिला है ।।
मैंने जो चाहा, जीवन में पाया,
संग मेरे रहता, सांवरे का साया,
शिक़वा किसी से है ना, कोई गिला है ।।
प्यासे को मानो, सावन…..
मंजिल का मेरी, पता कुछ नहीं था,
अंधेरों में यूं ही, भटका किया था,
तेरे प्यार का दिल में, दीपक जला है ।।
प्यासे को मानो, सावन…..
नींदों में अब तूं, सपनों में तूं है,
साँसों की लय में, धड़कन में तूं है,
तेरी बन्दगी का ऐसा, जादू चला है ।।
प्यासे को मानो, सावन…..
इतना किया है तो, इतना भी कर दे,
सेवा का मुझको, मेरे श्याम वर दे,
मन का ये मोती ‘हर्ष’, तुम्ही से खिला है ।।
प्यासे को मानो, सावन…..
श्री विनोद अग्रवाल ‘हर्ष’ द्वारा ‘सागर किनारे, दिल ये पुकारे’ गीत की तर्ज़ पर रचित अदभुत भावपूर्ण रचना ।
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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