Eji Ghanshyam Thari Murli Kamangari Mahara Raj
ऐ जी घनश्याम थारी मुरली कामणगारी म्हारा राज
तर्ज – उमराव
ऐ जी घनश्याम थारी मुरली कामणगारी,
म्हारा राज ।।
सूरत अति मनमोहनी, मीठी सी मुस्कान,
एक झलक दिखलायके, पागल कर गयो प्राण,
ऐ जी घनश्याम थारी, चित्तवन पर बलिहारी ।
म्हारा राज ।।
हरयै बाँस की बांसुरी, मो मन गई समाय,
ढळती रात जगाय के, गजबण गई तरसाय,
ऐ जी घनश्याम कैसी, मारी नेह कटारी ।
म्हारा राज ।।
लटक निराली श्याम की, मेरै मन को चैन,
दर्शन बिन गोपाल के, व्याकुल हैं दो नैन,
ऐ जी घनश्याम थारी, सूरत लागै प्यारी ।
म्हारा राज ।।
श्यामबहादुर साँवरा, थारै सैं अरदास,
सुध ‘शिव’ की लेता रियो, प्रतिपल बारूं मास,
ऐ जी घनश्याम लागी, थांसै प्रीत मुरारी ।
म्हारा राज ।।
श्रद्धेय स्व. शिवचरण जी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा राजस्थानी तर्ज़ ‘उमराव’ पर रचित अनुपम रचना