Na Bhaav Na Bhakti Hai Kaise Tera Dhayan Dharu Teri Anupam Lila Ka Kaise Main Bakhan Karu
ना भाव ना भक्ति है कैसे तेरा ध्यान धरूँ तेरी अनुपम लीला का कैसे मै बखान करूँ
तर्ज – ए मेरे दिल नादाँ
ना भाव ना भक्ति है,कैसे तेरा ध्यान धरूँ,
तेरी अनुपम लीला का, कैसे मै बखान करूँ।।
सेवा और पूजा मै, मेरा चित्त नहीं लगता है,
माने ना ये मन बैरी, चहुँ और भटकता है,
इस पापी जीवन का, कैसे कल्याण करूँ।।(१)
ना स्वर का ज्ञान मुझे, क्या गीत सुनाऊँ मै,
संगीत नहीं आता, क्या साज बजाऊँ मै,
तुझे कैसे रिझाऊँ मै, कैसे गुणगान करूँ।।(२)
नादान समझकर के, प्रभु माफ़ करो मुझको,
तेरे लायक वस्तु नहीं, जो भेंट करूँ तुझको,
तूने जो दिया उससे,तेरा क्या सम्मान करूँ।।(३)
प्रभु चरण शरण दे दो,मुझको अपनालो तुम,
बस धूल समझकर ही, चरणों से लगालो तुम,
“बिन्नू” कहे फिर तुझको, कभी ना परेशान करूँ।।(४)
ना भाव ना भक्ति है, कैसे तेरा ध्यान धरूँ
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम यही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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