Pata Kuch Nahi Hai Kaha Ja Raha Hu Tu Le Ja Raha Hai Vaha Ja Raha Hu
पता कुछ नहीं है कहाँ जा रहा हूँ तू ले जा रहा है वहां जा रहा हूँ
तर्ज – मुहब्बत की झूठी कहानी
पता , कुछ , नहीं है …. कहाँ , जा , रहा हूँ-2….2
तू , ले , जा , रहा है .. . वहां , जा , रहा हूँ-2….2
तू , अंधे की , लाठी …. पता , बे , पता का….2
मैं , फल पा , रहा हूँ …अपनी , खता का…2
कहां से , कहां …. ठोकरे , खा , रहा हूँ -2…2
पता कुछ नहीं है…
कदम , जो तेरे .. आशियाने में , रक्खा…2
मजा , खूब मैं …. तेरी , उल्फत का , चखा…2
फना , हो रहा …. फिर भी , रंग ला , रहा हूँ-2…2
पता कुछ नहीं….
तुम्हारे , लिये , मैंने …. छोड़ा , जमाना…-2
मगर , तुम भी , करने …लगे , हो बहाना…2
मैं , तिनके के , जैसे … बहा, जा रहा , हूँ-2…2
पता कुछ नही….
सुनो , श्याम बहादुर … कन्हैया , रंगीला,…2
ना , पहचान , पाया …. ‘शिव’ , तेरी लीला…2
सितम , दिलरूबा का … सहे , जा रहा , हूँ-2…2
पता कुछ नहीं है…