Patwar Ko Sambhalo Bich Bhanwar Me Meri Naiya Shyam Tum Sambhalo
पतवार को संभालो बीच भंवर में मेरी नैया श्याम तुम निकालो
तर्ज – तेरी याद आ रही है
पतवार को संभालो
बीच भंवर में मेरी नैया श्याम तुम निकालो
भवसागर के मांझी किस बात की है नाराजी
सारे दांव लगाकर मैं हार गया हूं बाजी
हारे हुए के साथी बन कर अपना वचन निभा लो
श्याम तेरी संकलाई कि दुनिया करे बड़ाई
मेरी लाज बचा लो भक्तों की तुम्हें दुहाई
आशा लेकर दर तेरे आया दास को न टालो
पल पल बीता जाए ये मन मेरा घबराये
तुमको दया ना आई यह बात समझ ना आये
नजर दया कि ओ मेरे दाता अब मुझ पर भी डालो
जब से तुमको देखा मुझे और कोई न भाया
श्याम तुम्हें ये बिन्नू क्यों लगने लगा पराया
भूल चूक सब क्षमा करो अब हंस कर गले लगा लो