Aayo Hu Sharan Me Teri Mane Apnay Le Dukhda Ko Maro Hu Chati Ke Lagay Le
आयो हूँ शरण मं तेरी मन्नै अपनाय ले दुखड़ां को मारयो हूँ मैं छाती कै लगाय ले
तर्ज – छुप गया कोई रे
आयो हूँ शरण मं तेरी, मन्नै अपनाय ले,
दुखड़ां को मारयो हूँ मैं, छाती कै लगाय ले ।।
मनड़ै की बातां मेरी, कीनै सुणाऊँ मैं,
हियो भर आवै कीनै, खोलकर दिखाऊँ मैं,
थोड़ी-भोत तूं ही मेरी, पीड़ा नै बँटाय ले ।।
दुखड़ां को मारयो हूँ मैं…….
दुनिया की ठोकर खाकै, तेरै दर आयो हूँ,
सगळा जग का दरवाजा, मैं तो बंद पायो हूँ,
घणा नै निभावै है तूं, मन्नै भी निभाय ले ।।
दुखड़ां को मारयो हूँ मैं…….
बोल मेरा श्याम तेरै, क्यांको है घाटो,
थोड़ो सो मेरै भी दे दे, ठण्डो सो छांटो,
राजी-राजी मेरै सैं भी तूं, हँस बतळाय ले ।।
दुखड़ां को मारयो हूँ मैं…….
तेरो गुण गाऊँगा मैं, सैं नै बताऊँगो,
तेरो उपकार कदे, भूल नहीं पाऊँगो,
चाहे जद ‘बिन्नू’ नै तूं, श्याम आजमाय ले ।।
दुखड़ां को मारयो हूँ मैं…….
श्री बिनोद कुमार जी गाडोदिया ‘बिन्नू’ द्वारा ‘छुप गया कोई रे’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।