बड़ी दूर सैं दौड़यो आयो श्यामधणी थारै कारणै दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ ऊबो थारै बारणै (Badi Dur Se Doudo Aayo Shyam Dhani Thare Karne Darshan Bin Pacho Nhi Jau Ubho Thare Barne)

Badi Dur Se Doudo Aayo Shyam Dhani Thare Karne Darshan Bin Pacho Nhi Jau Ubho Thare Barne
बड़ी दूर सैं दौड़यो आयो श्यामधणी थारै कारणै दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ ऊबो थारै बारणै

 

तर्ज – थाळी भरकर ल्याई खीचड़ो

 

बड़ी दूर सैं दौड़यो आयो, श्यामधणी थारै कारणै,
दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ, ऊबो थारै बारणै ।।

 

आँख्यां मं आंसूड़ा चाल्या, बहे नीर की धार जी,
ताळो देकर कैंया सूत्या, खोलो क्यूँ ना किंवाड़जी,
भगतां मांही लाज गंवाई, श्यामधणी थारै कारणै ।
दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ, ऊबो थारै बारणै ।।

 

सेवक म्हारो कह्यो ना मानै, ताळी नहीं बतावै जी,
कांई म्हारी पीड़ ना जाणै, क्यूँ ना दरश दिखावैजी
या तो दरश दिखादे नहीं तो, देह तजूँ बारणै ।
दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ, ऊबो थारै बारणै ।।

 

अर्ज सुणी जद श्यामप्रभु ने, भक्त की लाज बचाई
मोरछड़ी की पड़ी तालै पर, भक्त मं ज्योति आई है
खुल गया द्वार श्यामदेव का, भक्ति के वश कारणै
दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ, ऊबो थारै बारणै ।।

 

श्यामबहादुर भक्त श्याम का, हँस-2 हुकुम सुणावै
मंदिर मांही नाचण लाग्या, श्याम नै पुष्प चढ़ावै है,
विप्र ‘बिहारी’ भजन सुणावै, श्यामधणी थारै बारणै
दर्शन बिन पाछो नहीं जाऊँ, ऊबो थारै बारणै ।।

 

सुप्रसिद्ध भजन ‘थाळी भरकर ल्याई खीचड़ो’ की तर्ज़ पर आधारित अति प्राचीन भजन ।
लेखक – विप्र बिहारी (रींगस) ।

 

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