Chali Chali Re Bhakto Ki Toli Chali Re Leke Hatho Me Nishan
चली चली रे भक्तों की टोली चली रे लेके हाथ में निशान
तर्ज – चली चली रे पतंग
चली चली रे भक्तों की टोली चली रे,
लेके हाथ में निशान, धरके श्यामजी का ध्यान,
सारे भक्तों को लगे बड़ी भली रे ।।
बाबा श्याम को बुलावो आयो भक्तां नै रंग जमायो
उठी मन में उमंग, जैसे जल में तरंग,
खिली सबके मन की कली रे ।।
चली चली रे भक्तों की टोली…..
फागण नै बाहर लगाई, मस्ती मतवाली छाई,
नाचै कोई छम-छम, भूल करके सारे ग़म,
कोई घूमर घालै प्यारी रंगीली रे ।।
चली चली रे भक्तों की टोली…..
बालक-बूढ़े नर-नारी, खुशी सबके मन में भारी,
सज धज के चले, लगे कितने भले,
श्याम दर्शन की आस आज फली रे ।।
चली चली रे भक्तों की टोली…..
कोई श्याम श्रृंगार सजावै कोई बाबा के इत्र लगावै
मेवा कोई ले आयो, खीर-चूरमो बणायो,
कोई बांटे मिश्री की डली रे ।।
चली चली रे भक्तों की टोली…..
तेरी सबने ज्योत जगाई, मिल प्रेम से महिमा गाई,
प्रीत तुझ से लगी, खुशी मन में जगी,
सुमिरण से बला सब टली रे ।।
चली चली रे भक्तों की टोली…..
हम तेरी शरण में आये, तेरी जय-जयकार लगायें,
बाबा दरश दिखा, सोये भाग्य जगा,
‘श्यामसुन्दर’ तेरा दास महाबली रे ।।
चली चली रे भक्तों की टोली…..
स्व. श्यामसुन्दर जी शर्मा पालम वालों द्वारा ‘चली चली रे पतंग मेरी चली रे’ गीत की तर्ज़ पर रचित सर्वप्रिय रचना ।
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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