दर्शन को तेरे आया बड़ी दूर से आया बड़ी दूर से (Darshan Ko Tere Baba Ayaa Badi Door Se)

Darshan Ko Tere Baba Ayaa Badi Door Se Mehar Ki Najar Baba Kar Do Jara

दर्शन को तेरे आया बड़ी दूर से आया बड़ी दूर से महर की नजर भोला कर दो जरा सी

 

दोहा- शिव समान दाता नही, विपत विडारन हार । 

लज्जा सबकी राखियो, शिव नन्दी के असवार ।। 

 

तर्ज – सौ साल पहले मुझे

 

दर्शन को तेरे – आया बड़ी दूर से – आया बड़ी दूर से
महर की नजर भोला, कर दो जरा सी
जरा झांक कर – मेरे दिल में भी देखो – दिल में भी देखो
झलक दीद की अपने, भर दो जरा सी ।। टेर ।।

 

हे बाबा बासुकीनाथ, टाबरां की या अर्जी है
थे सुनो जरा दे ध्यान, अलख की हो जाये मर्जी है
लगन है हमारी – विनती हजूर से – विनती हजूर है
भिक्षा क्षमा की – अगर दाे जरा सी ।।

 

तुम अपने भत्तफों के, रुके सब काम बनाते हो
पिफर मेरी नैया क्यों, नहीं उस पार लगाते हो
तेरा दास हूँ भोला – इसी दस्तूर से – इसी दस्तूर से
कदरदान हो तुम, कदर दो जरा सी ।।

 

इस बार तो लखदातार, फैसला कर के जायेंगे
ये नैना भये अधीर, चरण में झर के जायेंगे
‘श्यामबहादुर’ – ‘शिव’ मजबूर से, शिव मजबूर से
नहीं धीर दिल में, सबर दाे जरा सी ।।

 

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम यही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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