He Sankat Mochan Karte Hai Vandan Tere Bin Sankat Kon Hare
हे संकट मोचन करते है वंदन तेरे बिन संकट कौन हरे
तर्ज – ओ पालन हारे
दोहा
पवन तनय सँकट हरण, मंगल मूर्ती रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभूप ।।
हे संकट मोचन करते है वंदन – 2 तेरे बिन संकट कौन हरे
सालासर वाले तुम हाे रखवाले – 2, तेरे बिन संकट काैन हरे ।। टेर ।।
सिवा तेरे न दूजा हमारा
तू ही आकर के देता सहारा
जो विपदा आये पल में मिट जाये-ü, तेरे बिन संकट काैन हरे ।। û ।।
तूने रघुवर के दुःखड़ो काे टाला
हर मुसीबत से उनको निकाला
रघुवर के प्यारे आँखो के तारे-ü, तेरे बिन संकट काैन हरे ।। ü ।।
अपने भगतों के दुखड़े मिटाते
‘हर्ष ’ आपफत से हमको बचाते
किरपा यूँ रखना थामें तूँ रखना – 2, तेरे बिन संकट कौन हरेे ।। ý ।।