Manda Re Je Tu Balaji Ne Dhya Si Kasth Tera Sagla Kat Ja Si
मनड़ा रे जे तूं बालाजी नै ध्यायसी कष्ट तेरा सगळा कट ज्यासी
तर्ज – और इस दिल में क्या रखा है
मनड़ा रे जे तूं बालाजी नै ध्यायसी,
कष्ट तेरा सगळा कट ज्यासी,
साँचे मन सैं देख बुलाके, बाबो बेड़ो पार लगासी
वो सालासर वाळो सदा सुख बरसावै,
संवर ज्यावै बिगड़ी, शरण जो आ ज्यावै,
दुलारो अंजनी को, भक्तां को रखवाळो,
खुलो है भण्डारो, जो चाह्वै सो पावै,
झूंठी मोह माया नै तज कै, ले बजरंग को नाम,
याद करै जो बजरंगी नै,
कट ज्यावै रे लख चौरासी ।।
मनड़ा रे जे तूं बालाजी नै ध्यायसी…
लगी शक्ति रण मं, काळ हो बलकारी,
लखन नै मुर्छा घेरयो, पड़ी विपदा भारी,
प्रभु श्रीराम जी की देख आँख्यां मं पाणी,
उठ्या महावीर झट सैं, रे मारी किलकारी,
संजीवण लेकर कै आयो, होने ना दी भोर,
भोर भई श्रीराम जी बोल्या,
संकटमोचन नाम कहासी ।।
मनड़ा रे जे तूं बालाजी नै ध्यायसी…
या दौलत ठाठ तेरी, धरी रह जाणी है,
तेरी धन-दौलत कीं, काम न आणी है,
भजन कर राम नाम को, जो तारणहारी है,
‘सरल’ बावळो कहावै, पण बातां स्याणी है,
करले काम रे, भजले राम नै, जब तक आवै सांस,
सांस और वक़्त गया नही आवै,
चेत रे चेत घणो पछतासी ।।
मनड़ा रे जे तूं बालाजी नै ध्यायसी…
श्री सरल कवि द्वारा ‘और इस दिल में क्या रखा है’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम हनुमत वन्दना ।