मंदिर मं बड़ग्यो होळी खैलण सैं डरतो साँवरो (Mandir Me Badgo Holi Khelan Se Darto Sanwaro)

Mandir Me Badgo Holi Khelan Se Darto Sanwaro
मंदिर मं बड़ग्यो होळी खैलण सैं डरतो साँवरो

 

तर्ज – म्हारी चंद्रगवरजा

 

मंदिर मं बड़ग्यो, 
होळी खैलण सैं डरतो साँवरो ।।

 

बणकै बीनणी भीतर घुसग्यो, 
ललकारै नर-नारी,
हिम्मत है तो बाहर आज्या, 
लेकर रंग-पिचकारी ।।
मंदिर मं बड़ग्यो, होळी…..

 

नैण चुराकर भीतर घुसग्यो, 
करले तूं मनमानी,
हिम्मत है तो बाहर आज्या, 
याद करा दयां नानी ।।
मंदिर मं बड़ग्यो, होळी…..

 

ओ रंगरसिया सुण मनबसिया, 
यो के नाम कमाया,
आज्या अब तो छैल शरम कर, 
हाँसे खड़ी लुगायां ।।
मंदिर मं बड़ग्यो, होळी…..

 

म्है तो निर्भय तेरै नाम को, 
ओढ्यां फिरां दुपट्टो,
ऐसो काम करण सैं लगज्या, 
सरकारी मं बट्टो ।।
मंदिर मं बड़ग्यो, होळी…..

 

मैं तेरो तूं मेरो ‘बिहारी’, 
तूं राजी मैं राजी,
चलती आई सदा चलैगी, 
या अपणी रंगबाजी ।।
मंदिर मं बड़ग्यो, होळी…..

 

श्री कुंजबिहारी सोनी ‘बिहारी’ द्वारा राजस्थानी तर्ज़ ‘म्हारी चंद्रगवरजा’  पर रचित अदभुत भावपूर्ण रचना ।

 

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