माँगा शीश का दान मुरलीवाले ने दे दिया शीश उतार खाटू वाले ने (Manga Sheesh Ka Daan Murli Wale Ne De Diya Sheesh Utaar Khatu Wale Ne)

Manga Sheesh Ka Daan Murli Wale Ne De Diya Sheesh Utaar Khatu Wale Ne
माँगा शीश का दान मुरलीवाले ने दे दिया शीश उतार खाटू वाले ने

 

तर्ज – रेशमी सलवार कुरता जाली का

 

माँगा शीश का दान, मुरलीवाले ने,
दे दिया शीश उतार, खाटू वाले ने ।।

 

एक ब्रह्म एक है माया, ना कोई लखने पाया,
जग लीला देख भरमाया, ये अदभुत खेल रचाया,
रचने वाले ने ।।
दे दिया शीश उतार….

 

फिर अमर शीश कर दीना यों अपना रूप दे दीना,
तुम सम नहीं दानी होगा, ये साथ साथ कह दीन्हा,
कमली वाले ने ।।
दे दिया शीश उतार….

 

यह सत्य कथा है पुरानी, खाटूवाले की कहानी,
कलि में प्रगटे बलवानी, होगा शीश वरदानी,
कहा नन्दलाले ने ।।
दे दिया शीश उतार….

 

जो शरण आपकी आया, वो मन इच्छा फल पाया,
‘सीताराम’ श्याम की माया बिरला ही लखने पाया
लखने वाले ने ।।
दे दिया शीश उतार….

 

‘रेशमी सलवार, कुरता जाली का’ गीत की तर्ज़ पर रचित अति प्राचीन, सर्वप्रिय रचना । लेखक – श्री सीताराम (अज्ञात) ।

 

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