मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ये है असुवन की धार ना समझ तू पानी (Meri Sunle Karun Pukar O Sheesh Ke Daani Ye Hai Asuan Ki Dhaar Na Samajh Tu Paani)

Meri Sunle Karun Pukar O Sheesh Ke Daani Ye Hai Asuan Ki Dhaar Na Samajh Tu Paani
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ये है असुवन की धार ना समझ तू पानी

 

मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ,
ये हैं अंसुवन की धार, ना समझ तू पानी ,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

 

जितने बहेंगे आंसू तेरे लिए सांवरे,
कर्ज चढ़ेगा तुझपे उतना ही जानले,
कीमत हर आंसू की पड़ती है चुकानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

 

यहां भीगे पलके मेरी वहाँ मुस्कुराये तू ,
भगतों के दिल को बाबा और क्यूँ जलाये तू ,
क्या इसी को कहते हैं प्रभु प्रीत निभानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

 

माना के ये आंसू ‘सोनू’ होते बेजुबान हैं,
लेकिन ये हाल दिल का करते बयान हैं,
पत्थर को गला देता ये खारा पानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
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