मेरी तो अरजी है धणी की मरजी है सुणो ना सुणो जी हुजूर (Meri To Arji Hai Dhani Ki Marji Hai Suno Na Suno Ji Hujur)

Meri To Arji Hai Dhani Ki Marji Hai Suno Na Suno Ji Hujur
मेरी तो अरजी है धणी की मरजी है सुणो ना सुणो जी हुजूर

 

तर्ज – जे हम तुम चोरी से

 

मेरी तो अरजी है, धणी की मरजी है,
सुणो ना सुणो जी हुजूर, नजर भरके तो देखले ।।

 

थानै ही सदा सैं, सुणाऊँ मेरी बीती,
श्याम कै भरोसै, या सुरतां नचीती,
साँवरिया मनगरा-मनगरा, तूं बेमिसाल है ।।
मेरी तो अरजी है, धणी की…..

 

ओ जी ओ मिजाजी, क्यूँ जीवड़ो दुखावो,
नाराजी नै छोड़ो, मुरारी मुस्कुरावो,
दिल दरिया मद भऱया – 2, नैणा विशाल है ।।
मेरी तो अरजी है, धणी की…..

 

अणजाणै मं तेरै सैं, नेह के लगायो,
भोळै-ढाळै पंछी को, काळजो दुखायो,
मनगरिया सुण जरा-सुण जरा, थांसै सवाल है ।।
मेरी तो अरजी है, धणी की…..

 

श्याम बहादुर, तो दास है पुराणो,
‘शिव’ को तो काम, तेरी हाजरी बजाणो,
दुख हरिया जी मेरा-जी मेरा, बेशक़ निहाल है ।।
मेरी तो अरजी है, धणी की…..

 

श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा ‘जे हम तुम चोरी से, बँधे इक डोरी से’ गीत की तर्ज़ पर रचित रचना ।

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
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