Pallo Dekhle Bichakar Khul Rayo Baba Ko Darbar Khatuwalo Shyam Dhani Maharo Luta Ryo Bhandar
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो बाबा को दरबार खाटूवालो श्यामधणी म्हारो लुटा रह्यो भण्डार
तर्ज – धमाल
पल्लो देखले बिछाकर , खुल रह्यो बाबा को दरबार,
खाटूवालो श्यामधणी म्हारो, लुटा रह्यो भण्डार ।।
धन-दौलत की कमी पड़ै तो, माँग देखले बाबा सैं,
दोन्यू हाथ लुटावै बाबो, मेरो लखदातार ।।
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो …..
बेटा-पोता-पड़पोता ल्यो, बड़ो दयालु श्यामधणी,
चाहे जड़ूलो फागण की, फागण मं जाय उतार ।।
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो …..
मान और सम्मान श्याम, भगतां नै देवै भोत घणो,
राजाओं को महाराज, सरकारां की सरकार ।।
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो …..
सुख चाह्वै तो सुमिरण करले प्रेम-भाव सैं बाबा को
दुखड़ा दूर करैगो यो, दुखड़ां को मेटणहार ।।
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो …..
सबसै ऊंची दया श्याम की, किस्मत वालो पावै है,
दयानिधि की दया मिलै तो, होज्या बेड़ो पार ।।
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो …..
‘श्यामसुन्दर’ की इच्छा याही नित तेरो गुणगान करै
तेरी सेवा करणै खातिर, लेऊँ जनम दुबार ।।
पल्लो देखले बिछाकर खुल रह्यो …..
स्व. श्यामसुन्दरजी शर्मा पालम वालों द्वारा रचित सुप्रसिद्ध धमाल ।