Pitra Ki Jot Sawai Ji Pitra Ki
पितरां की ज्योत सवाई जी पितरां की
तर्ज-खाटू को श्याम रंगीलो रे
पितरां की ज्योत सवाई जी पितरां की
ज्योत सवाई आँ की घणी सकलाई
म्हें तो मिल कर महिमा गाई जी,पितरां की।।
कुल का देव या कुल का रक्षक,
चरणां मांय झुकाल्यो मस्तक,
थे तो सदा करो सेवकाई जी,पितरां की।।(१)
घर परिवार का मालिक समझो,
थारे सिर पर आँ को करजो,
जो कुछ है सारी कमाई जी,पितरां की।।(२)
हर माँवस न ज्योत थे लीज्यो,
सालुँसाल पहरावनी दीज्यो,
और दिल स करो बड़ाई जी,पितरां की।।(३)
“बिन्नू” श्याम सरोवर सागे,
अरज कर है पितरां आगे,
म्हाने याद घनेरी आई जी,पितरां की।।(४)
पितरां की ज्योत सवाई जी,पितरां की